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Thursday, September 26, 2013

News in Hindi: Terrorist taking lead on security forces


terrorism

नीलू रंजन, नई दिल्ली। दो दशक के प्रयास के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर सुरक्षा बलों को मिली बढ़त इस साल कमजोर पड़ने लगी है। पिछले साल की तुलना में इस साल आतंकियों के शिकार बने सुरक्षा बल के जवानों की संख्या सात गुना बढ़ चुकी है। वहीं मारे गए आतंकियों की संख्या में एक चौथाई कमी आई है। सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि यदि ऐसा ही रहा तो घाटी में एक बार फिर 90 के दशक की स्थिति दोहराई जा सकती है।

गृह मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक 2012 में आतंकी हमले में सुरक्षा बलों के सात जवान शहीद हुए थे, लेकिन इस साल इनकी संख्या बढ़कर 48 हो चुकी है। जबकि साल के तीन महीने अभी शेष बचे हैं। इसके उल्टे पिछले साल सुरक्षा बलों ने कुल 48 आतंकियों को मार गिराया था, लेकिन इस साल अभी तक केवल 39 आतंकी ही मारे गए हैं। आतंकियों के हाथों मारे जाने वाले निर्दोष नागरिकों की संख्या भी नौ से बढ़कर 10 हो चुकी है। यही हाल गिरफ्तार आतंकियों को लेकर है। पिछले साल कुल 98 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इस साल अभी तक केवल 66 आतंकी गिरफ्तार किए जा सके हैं।

गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 90 के दशक में घाटी में आतंक चरम पर था। लेकिन 2000 के बाद इसमें लगातार कमी आती गई। 2002 में जहां 2020 आतंकी मारे गए थे और सुरक्षा बलों के 536 जवान शहीद हुए थे। 2011 तक आते-आते इनकी संख्या कम होकर क्रमश: 100 और 33 रह गईं थी। इसके बाद 2012 से घाटी में शांति की फिजा को भंग करने की पाकिस्तान की ओर कोशिश शुरू हुई और आतंकियों की घुसपैठ के लिए पाक सेना की ओर से फायरिंग की घटनाएं बढ़ गई। पिछले साल जहां सीमा पर फायरिंग की कुल 117 घटनाएं हुईं थी, इस साल उनकी संख्या अभी तक 144 हो चुकी हैं। 

वैसे पाक की तमाम कोशिशों के बावजूद घाटी में आतंकियों की संख्या पिछले साल की तुलना में कोई इजाफा नहीं हुआ है। घाटी में पिछले साल की तरह अब भी लगभग 220 प्रशिक्षित आतंकी सक्रिय हैं। जबकि पाकिस्तान में आतंकियों के प्रशिक्षण के लिए 42 कैंप चल रहे हैं। इनमें 25 पाक अधिकृत कश्मीर और 17 पाकिस्तान के दूसरे इलाकों में हैं। इन कैंपों में लगभग 2500 आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

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